class 8 social science civics chapter 5 न्यायपालिका

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कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान की पुस्तक सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में छात्रों को भारतीय संविधान, कानून और जनसुविधाओं के बारे में जानने को मिलेगा। नागरिक शास्त्र कक्षा 8 काफी रोचक है।

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कक्षा : 8
विषय : सामाजिक विज्ञान (नागरिक शास्त्र –सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-3)

अध्याय-5 न्यायपालिका

अभ्यास:-

प्रश्न 1 – आप पढ़ चुके हैं कि ‘कानून को कायम रखना और मौलिक अधिकारों को लागू करना’ न्यायपालिका का एक मुख्य काम होता है। आपकी राय में इस महत्वपूर्ण काम को करने के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र होना क्यों जरूरी है ?

उत्तर :- कानून को बनाए रखने और मौलिक अधिकारों को लागू करने’ के कार्य को पूरा करने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका आवश्यक है। इसका इरादा न्यायिक प्रक्रिया को बाहरी प्रभावों से बचाना और किसी भी कारण से अदालत जाने वाले सभी व्यक्तियों को पूर्ण कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है।यदि किसी को लगता है कि उसके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो वह अदालतों का दरवाजा खटखटा सकता है। यदि संसद द्वारा पारित कोई कानून किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो न्यायपालिका के पास ऐसे कानून को अमान्य घोषित करने की शक्ति है।

प्रश्न 2 – अध्याय 1 में मौलिक अधिकारों की सूची दी गई है। उसे फिर पढ़ें। आपको ऐसा क्यों लगता है कि संवैधानिक का अधिकार न्याययिक समीक्षा के विचार से जुड़ा हुआ है ?

उत्तर :- अदालत के फैसलों की न्यायिक समीक्षा तब की जाती है जब अदालत द्वारा दिया गया फैसला किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करता है। संविधान में हर नागरिक को समान अधिकार हैं और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। यदि कोई उल्लंघन होता है, तो न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी पहले के निर्णयों की समीक्षा करने के लिए स्वतंत्र है।

प्रश्न 3 – नीचे तीनों स्तर के न्यायालय को दर्शाया गया है। प्रत्येक के सामने लिखिए कि उस न्यायालय ने सुधा गोयल के मामले में क्या फैसला दिया था ? अपने जवाब को कक्षा के अन्य विद्यार्थियों द्वारा दिए गए जवाब के साथ मिलकर देखों।

उत्तर :- निचली अदालत :-  निचली अदालत ने सुधा के पति, सास और जेठ को दोषी माना और मौत की सज़ा सुनाई।

उच्च न्यायालय :- 1983 में तीनों आरोपियों ने निचली अदालत के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए फैसला सुनाया कि सुधा के पति और अन्य लोग निर्दोष थे और उन्हें मुक्त कर दिया गया।

सर्वोच्च न्यायालय :- इसके बाद उच्च न्यायालय के खिलाफ ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि सुधा के पति और उसकी मां दोषी थे और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने जीजा-साले को मुक्त कर दिया।

प्रश्न 4 – सुधा गोयल मामले को ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए बयानों को पढ़िए । जो वक्तव्य सही हैं उन पर सही का निशान लगाइए और जो गलत हैं उनको ठीक कीजिए।

(क) आरोपी इस मामले को उच्च न्यायालय लेकर गए क्योंकि वे निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं थे।

उत्तर :-  सही।

(ख) वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ़ उच्च न्यायालय में चले गए।

उत्तर:-  गलत, सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अंतिम होता है, इसके खिलाफ कोई किसी न्यायालय में नहीं जा सकता।

(ग) अगर आरोपी सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा निचली अदालत में जा सकते हैं।

उत्तर :-  गलत, नहीं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद उच्च न्यायालय या निचली अदालत में नहीं जा सकते।

प्रश्न 5 – आपको ऐसा क्यों लगता है कि 1980 के दशक में शुरू की गई जनहित याचिका की व्यवस्था सबको इंसाफ दिलाने के लिहाज से एक महत्त्वपूर्ण कदम थी ?

उत्तर :-  1980 के दशक की शुरुआत में सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय तक पहुंच बढ़ाने के लिए जनहित याचिका या पीआईएल का एक तंत्र तैयार किया। इसने किसी भी व्यक्ति या संगठन को उन लोगों की ओर से उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की अनुमति दी जिनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया था। कानूनी प्रक्रिया को बहुत सरल बनाया गया था, और यहां तक ​​कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय को संबोधित एक पत्र या टेलीग्राम को भी जनहित याचिका के रूप में माना जा सकता था। शुरुआती सालों में जनहित याचिका के माध्यम से बहुत सारे मुद्दों पर लोगों को न्याय दिलाया गया था। बंधुआ मजदूरों को अमानवीय श्रम से मुक्ति दिलाने और बिहार में सजा काटने के बाद भी रिहा नहीं किए गए, कैदियों को रिहा करवाने के लिए जनहित याचिका का ही इस्तेमाल किया गया था।

प्रश्न 6 – ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम मुकदमे में दिए गए फैसले के अंशों को दोबारा पढ़िए। इस फ़ैसले में कहा है कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है। अपने शब्दों में लिखिए कि इस बयान से जज़ो का क्या मतलब था ?

उत्तर :- ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे नगर निगम मामले में, न्यायाधीशों ने कहा कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि जीवन का मतलब केवल एक जानवर का अस्तित्व नहीं है; आजीविका के साधन के बिना इसका निर्वाह नहीं किया जा सकता। उपर्युक्त मामले में, लोग गरीब थे और झुग्गियों में रहते थे; उनके पास छोटी नौकरियाँ थीं और रहने के लिए कोई अन्य जगह नहीं थी। उनके लिए, उनकी झुग्गी से बेदखल करने का मतलब उनकी आजीविका से वंचित होना है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन से वंचित होना पड़ता है। इस तरह न्यायाधीशों ने जीवन के अधिकार को किसी भी आजीविका की बुनियादी आवश्यकताओं, यानी भोजन, कपड़ा और आश्रय से जोड़ दिया।

 

प्रश्न 7 – ‘इंसाफ़ में देरी यानी इंसाफ़ का कत्ल ‘ इस विषय पर एक कहानी बनाइए।

उत्तर :- इंसाफ पाना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार होता है। इसके लिए वह कुछ भी कर सकता है। किसी भी न्यायालय की शरण ले सकता है। लेकिन आज कल इतने मुक़दमे, खून खराबा बढ़ रहा है कि किसी ना किसी इंसान को इंसाफ देर से मिलता है।डकैत फूलन देवी ने 1981 में बेहमई में 22 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। फूलन देवी के खिलाफ राज्य सरकार ने मुकदमे वापस ले लिए और 11 साल जेल भुगतकर फूलन न सिर्फ बाहर आ गई बल्कि सांसद भी बनीं। हालांकि बाद में उनकी हत्या हो गई। बेहमई कांड और फूलन देवी की हत्या का मुकदमा देश की अलग अलग अदालतों में विचाराधीन है।हमारे यहां तंत्र फेल होने में सिर्फ जांच एजेंसियां ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि धीमी न्याय प्रणाली भी कम जिम्मेदार नहीं है।

प्रश्न 8 – अगले पन्ने पर शब्द संकलन में दिए गए प्रत्येक शब्द से वाक्य बनाइए।

उत्तर :- बरी करना :- अगर किसी पर कोई मुकदमा चल रहा हो और वह उस पर लगे आरोपों से वह मुक्त हो जाए , उसे बरी कर देते है।

अपील करना :- किसी न्यायालय के द्वारा सुनाया गया फैसला अगर किसी व्यक्ति को सही ना लगे तो वह उससे उच्च न्यायालय में जाकर उस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।

मुआवजा :- किसी प्रकार की क्षति की भरपाई के लिए दिए जाने वाले पैसे को मुआवजा कहते है।

बेदखली :- किसी ज़मीन, घर, संपत्ति पर जब किसी का अधिकार नहीं रहता उसे बेदखली करना कहते है।

उल्लंघन :- बनाए गए नियमों का पालन न करना उल्लंघन कहलाता है।

प्रश्न 9 – यह पोस्टर भोजन अधिकार अभियान द्वारा बनाया गया है।

इस पोस्टर को पढ़ कर भोजन के अधिकार के बारे में सरकार के दायित्वों की सूची बनाइए। इस पोस्टर में कहा गया है कि “ भूखे पेट भरे गोदाम ! नहीं चलेगा, नहीं चलेगा !! “ इस वक्तव्य को पृष्ठ 61 पर भोजन के अधिकार के बारे में दिए गए चित्र निबंध से मिला कर देखिए।

उत्तर :- हर व्यक्ति को जीवन का अधिकार है। लेकिन जीवन जीने के लिए भोजन आवश्यक होता है। अगर किसी व्यक्ति को खाना ही नहीं मिलेगा तो वह मर भी सकता है। भूखा मरता व्यक्ति कोई भी गलत चीज़ करने के लिए तैयार रहता है। इससे समाज में असामाजिक तत्व पैदा होते है। सरकार जो उन सभी व्यक्तियों के लिए कोई न कोई योजना बनानी चाहिए। उन्हें रोजगार, भत्ता, खाद्य पदार्थ देने चाहिए।

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इतिहास (History) हमारे अतीत -3 

नागरिक शस्त्र (Civics)  सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन -3

भूगोल (Geography)  संसाधन एवं विकास भाग -2 

 

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