NCERT Solution Class 8 Social science history अध्याय 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन

NCERT Solution Class 8 Social science history अध्याय 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक के लिए NCERT solution में इतिहास पुस्तक – हमारे अतीत -III में दिए गए अभ्यासों के समाधान शामिल हैं।कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान पाठ 8 के प्रश्न उत्तर को NCERT को ध्यान में रखकर छात्रों की सहायता के लिए बनाया गया हैं।

 एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास हमारे अतीत -3 का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना हैं। यदि आप कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान के प्रश्न उत्तर (Class 8 Social Science NCERT Solutions) पढ़ना चाहते है तो आप सही जगह पे आए है। आपको बात दे की सामाजिक विज्ञान विषय के यह कक्षा 8 एनसीईआरटी समाधान पीडीएफ़ की तौर मे डाउनलोड भी कर सकते है।

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 इतिहास पुस्तक अध्याय संक्षेप में

यह अध्याय छात्रों को राष्ट्रवाद के उद्भव को समझने में मदद करेगा। 1850 के बाद गठित राजनीतिक संघों ने राष्ट्रवादियों की चेतना को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। इस अध्याय में स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस की भूमिका तथा प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्धों का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव को व्यापक रूप से समझाया गया है। इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है जिसमें बहुत सारी तिथियाँ और घटनाएँ समाहित होती हैं। छात्रों के लिए कुछ समय व्यतीत करना और महत्वपूर्ण अवधारणाओं को कुशलतापूर्वक सीखना आवश्यक है।

NCERT Solutions for Class 8
विषय : सामाजिक विज्ञान इतिहास (हमारे अतीत – III)

अध्याय 8. राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक (Hindi Medium)

फिर से याद करें:-

प्रश्न 1 – 1870 और 1880 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से क्यों असंतुष्ट थे ?

उत्तर :- 1878 में आर्म्स एक्ट पारित किया गया जिसके जरिए भारतीयों द्वारा अपने पास हथियार रखने का अधिकार छीन लिया गया। उसी साल प्रेस एक्ट भी पारित किया गया जिससे सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराया जा सके। इस कानून में प्रावधान था कि अगर किसी अखबार में कोई आपत्तिजनक चीज छपती है तो सरकार उसकी प्रिंटिंग प्रेस सहित सारी सम्पत्ति को जब्त कर सकती है। 1883 में सरकार ने इल्बर्ट बिल लागू करने का प्रयास किया। इसको लेकर काफी हंगामा हुआ। इस विधेयक में प्रावधान किया गया था कि भारतीय न्यायाधीश भी ब्रिटिश या यूरोपीय व्यक्तियों पर मुकदमे चला सकते हैं ताकि भारत में काम करने वाले अंग्रेज और भारतीय न्यायाधीशों के बीच समानता स्थापित की जा सके। जब अंग्रेजों के विरोध की वजह से सरकार ने यह विधेयक वापस ले लिया तो भारतीयों ने इस बात का काफी विरोध किया। इस घटना से भारत में अंग्रेजों के असली रवैये का पता चलता था।

प्रश्न 2 – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किन लोगों के पक्ष में बोल रही थी ?

उत्तर :-  कांग्रेस भारत के किसी एक वर्ग या समुदाय के नहीं, बल्कि भारत के सभी विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों से बनी थी। इसलिए, पार्टी आज़ादी की लड़ाई में जनता के लिए बोलना चाहती थी। 

प्रश्न 3 – पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौन से आर्थिक असर पड़े ?

उत्तर :- प्रथम विश्व युद्ध ने भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को बदल दिया। इससे भारत सरकार के रक्षा व्यय में भारी वृद्धि हुई। बदले में, सरकार ने व्यक्तिगत आय और व्यावसायिक मुनाफे पर कर बढ़ा दिया। सैन्य व्यय में वृद्धि और युद्ध आपूर्ति की माँग के कारण कीमतों में भारी वृद्धि हुई, जिससे आम लोगों के लिए बड़ी कठिनाइयाँ पैदा हुईं। दूसरी ओर, व्यापारिक समूहों ने युद्ध से शानदार मुनाफ़ा कमाया। प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में अन्य देशों से आयात में गिरावट आई।

प्रश्न 4 – 1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में क्या मांग की गई थी ?

उत्तर :- 1940 में मुस्लिम लीग ने देश के पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्यों “ की माँग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में विभाजन या पाकिस्तान का जिक्र नहीं था।

आइए विचार करें :-  

प्रश्न 5 – मध्यमार्गी कौन थे ? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे ?

उत्तर :- कांग्रेस के प्रारंभिक नेता मध्यमार्गी थे ।वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ निम्न तरह से संघर्ष करना चाहते थे :-

उन्होंने समाचार पत्र प्रकाशित किये, लेख लिखे और दिखाया कि कैसे ब्रिटिश शासन देश को आर्थिक रूप से बर्बाद कर रहा है। उन्होंने अपने भाषणों में ब्रिटिश शासन की आलोचना की और जनता का समर्थन जुटाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिनिधि भेजे। उन्हें लगा कि अंग्रेज़ स्वतंत्रता और न्याय के आदर्शों का सम्मान करते हैं और इसलिए वे भारतीयों की उचित माँगों को स्वीकार करेंगे।लिहाजा, कांग्रेस का मानना था कि सरकार को भारतीयों की भावना से अवगत कराया जाना चाहिए।

प्रश्न 6 – कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से किस तरह भिन्न थी ?

उत्तर :- अंतर-

  • नरमपंथी संघर्ष में शांतिपूर्ण तरीकों को प्रयोग करना चाहते थे, जबकि गरमपंथी उग्र एवं क्रांतिकारी तरीका अपनाना चाहते थे।
  • नरमपंथी यह मानते थे कि सरकार उनकी न्यायसंगत माँगों को मान लेगी, जबकि गरमपंथी सोचते थे कि बिना किसी दबाव अंग्रेज़ उनकी माँग नहीं मानेंगे।
  • नरमपंथी प्रार्थनाओं, अपीलों और याचिकाओं में विश्वास करते थे, जबकि गरमपंथी उनके इस तरीके के विरोधी थे।

प्रश्न 7 – चर्चा करें कि भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आंदोलन ने किस-किस तरह के रूप ग्रहण किए ? लोग गांधीजी के बारे में क्या समझते थे ?

उत्तर :- देश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आईं, जो नीचे दी गई हैं:

  • खेड़ा (गुजरात) में पाटीदार किसानों ने अंग्रेजों द्वारा थोप दिए गए भारी लगान के खिलाफ अहिंसक आंदोलन किया।
  • तटीय आंध्र और अंतर्देशीय तमिलनाडु में शराब की दुकानों पर धरना दिया गया।
  • आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में, आदिवासियों और गरीब किसानों ने कई “वन सत्याग्रह” किए, कभी-कभी अपने मवेशियों को चराई शुल्क का भुगतान किए बिना जंगलों में भेज दिया।
  • पंजाब में सिखों के अकाली आंदोलन अपने गुरुद्वारों के भ्रष्ट महंतों को हटाने के लिए था। |
  • असम में चाय बागान मजदूरों ने अपनी तनख्वाह में बढ़ोत्तरी के लिए आंदोलन चलाया।

लोग गांधीजी को एक प्रकार का मसीहा मानते थे, एक ऐसा व्यक्ति जो उनके दुख और गरीबी को दूर करने में उनकी मदद कर सकता था। गांधीजी वर्ग संघर्ष नहीं बल्कि वर्ग एकता कायम करना चाहते थे। फिर भी, किसान कल्पना कर सकते थे कि वह जमींदारों के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनकी मदद करेगा, और खेतिहर मजदूरों का मानना ​​था कि वह उन्हें जमीन प्रदान करेंगे।

प्रश्न 8 – गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला क्यों लिया ?

उत्तर :- 1930 में गांधीजी ने ऐलान किया कि वह नमक कानून तोड़ने के लिए यात्रा निकालेंगे। उस समय नमक के उत्पादन और ब्रिकी पर सरकार का एकाधिकार था।महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रवादियों के अनुसार नमक पर टैक्स वसूलना पाप है, क्योंकि यह हमारे भोजन का अभिन्न अंग है।गांधीजी और उनके अनुयायी साबरमती से 240 किलोमीटर दूर स्थित दांडी तट पैदल चलकर गए और वहाँ उन्होंने तट पर बिखरा नमक इकट्ठा करते हुए नमक कानून का सार्वजनिक रूप से उल्लंघन किया।इस तरह से गांधीजी ने नमक कानून को तोड़ने का फैसला लिया।

प्रश्न 9 – 1937-47 को उन घटनाओं पर चर्चा करें जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ ?

उत्तर:-  1937-47 के घटनाक्रम, जिनके कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ, नीचे दिए गए हैं:-

  • 1937 में मुसलिम लीग संयुक्त प्रांत में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी, परंतु कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, जिससे दोनों के बीच मतभेद गहरे हो गए।
  • 1940 में मुसलिम लीग ने देश के पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्यों की माँग का एक प्रस्ताव पारित किया।
  • 1946 के प्रांतीय चुनाव – मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर मुस्लिम लीग की शानदार जीत ने उन्हें एक अलग राष्ट्र बनाने का विश्वास दिलाया।
  • जन आंदोलन – 1946 के कैबिनेट मिशन की विफलता के कारण मुस्लिम लीग के नेतृत्व में जन आंदोलन हुआ।
  • इसी दिन कलकत्ता में दंगे भड़क उठे और मार्च, 1947 तक हिंसा उत्तरी भारत के विभिन्न भागों में फैल गई और इसके बाद विभाजन का परिणाम सामने आया एक नए देश पाकिस्तान का जन्म हुआ।
आइए करके देखें:-  

प्रश्न 10 – पता लगाएं कि आपके शहर जिले इलाके या राज्य में राष्ट्रीय आंदोलन किस तरह आयोजित किया गया। किन लोगों ने उसमें हिस्सा लिया और किन लोगों ने उसका नेतृत्व किया ? आपके इलाके में आंदोलन को कौन सी सफलताएँ मिली ?  

उत्तर :- छात्र इसका उत्तर खुद लिखें

प्रश्न 11- राष्ट्रीय आंदोलन के किन्हीं दो सहभागियों या नेताओं के जीवन और कृतित्व के बारे में और पत्ता लगाएँ तथा उनके बारे में एक संक्षिप्त निबंध लिखें। आप किसी ऐसे व्यक्ति को भी चुन सकते हैं जिसका इस अध्याय में जिक्र नहीं आया है।

मोहनदास कर्मचंद गांधी भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक थे। वे अहिंसा के समर्थक थे। 1915 में जब वे भारत लौटे, तो वे जनता के नेता बन गए। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, गरीबी और अस्पृश्यता को कम करने के लिए अभियान का नेतृत्व किया। 

कोकिला सरोजिनी नायडू एक कवि और एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थीं। वह 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं। वह महात्मा गांधी के स्वराज के विचार से प्रेरित थीं।उन्होंने सामाजिक कल्याण और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया।भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्हें संयुक्त प्रांत, वर्तमान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।

 

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