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अध्याय ‘चुनौती हिमालय की’ जवाहरलाल नेहरू और उनके चचेरे भाई की कहानी है जिन्होंने कश्मीर और हिमालय की यात्रा करने का फैसला किया। यह यात्रा वृतांत ‘सुरेखा पदंदीकर जी’ द्वारा लिखा गया है। इस अध्याय में कश्मीर के ऊंचे और खूबसूरत मैदानों से लेकर हिमालय की चोटी तक की यात्रा का वर्णन है। छात्र कक्षा 5 हिंदी अध्याय 18 के लिए एनसीईआरटी समाधान का मुफ्त पीडीएफ आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। NCERT Solutions 5th Hindi Chapter 18 –चुनौती हिमालय की यह सामग्री सिर्फ संदर्भ के लिए है। आप अपने विवेक से तथा अपने अनुसार प्रयोग करें। विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है
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NCERT Solutions for Class 5 Hindi
Chunauti Himalaya Ki
रिमझिम पाठ- 18 . चुनौती हिमालय की
कहाँ क्या है
प्रश्न 1. (क) लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य में है| पाठ्यपुस्तक में दिए गए भारत के नक़्शे में ढूँढो की लद्दाख कहाँ है और तुम्हारा घर खान हैं?
(ख) अनुमान लगाओ की तुम जहाँ रहते हो वहां से लद्दाख पहुँचने में कितने दिन लग सकते हैं| और वहां किन-किन जरियों से पहुँचा जा सकता हैं?
(ग) किताब के शुरू में तुमने तिब्बती लोककथा ‘राख की रस्सी’ पढ़ी थी| पाठ्यपुस्तक में दिए गए नक्शे में तिब्बत को ढूँढो|
उत्तर- उपरोक्त तीनों प्रश्नों का उत्तर: विद्यार्थी मानचित्र की सहायता से स्वयं करें।
वाद-विवाद
प्रश्न 1. (क) बर्फ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उद्दास और फ़िके लगाने की क्या वजह हो सकती थी?
उत्तर- बर्फ़ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उदास और फीके लगने की वजह वहाँ पर हरियाली का बर्फ़ से ढक जाना होता है।
(ख) बताओ, ये जगहें कब उद्दास और फीकी लगती हैं और यहाँ कब रौनक होती है?
घर बाज़ार स्कूल खेत
उत्तर- घर – जब घर के सभी सदस्य बाहर चले जाते हैं, तो घर उदास और फीका लगता है| लेकिन जब घर के सभी सदस्य घर में होते हैं, तब घर में रौनक होती है|
बाजार – जब बाजार बंद होने लगता है, तो वह उदास और फीका लगता है| लेकिन जब बाजार में लोग खरीदारी करने आते हैं, तो वहाँ रौनक होती है|
स्कूल – जब स्कूल की छुट्टी हो जाती है, तो स्कूल उदास हो फीका लगता है| लेकिन जब बच्चे स्कूल में आते हैं, तो वहाँ और रौनक होती है|
खेत – खेतों में जब फसल लहलहाने लगती है और किसान उसमें काम कर रहे होते हैं, तो रौनक रहती है। खेत कट जाने पर फीके लगते हैं।
प्रश्न 2. ‘जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए|’ तुम इससे सहमत हो तो भी तक दो, नहीं हो तो भी तर्क दो| अपने तर्कों को तुम कक्षा के सामने प्रस्तुत कर सकते हो|
उत्तर- जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए था क्योंकि उनके पास इस खतरनाक रास्तों पर चलने के लिए पर्याप्त सामान न था| लेकिन उनमें जोश भरपूर था, जिसकी जरूरत दुर्गम यात्रा में पडती है|
कोलाज
कोलाज’ उस तस्वीर को कहते हैं जो कई तस्वीरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर एक कागज पर चिपका कर बनाई जाती है|
प्रश्न 1. तुम मिलकर पहाड़ों का एक कोलाज बनाओ| इसके लिए पहाड़ों से जुड़े विभिन्न तस्वीर इकट्ठा करो- पर्वतारोहण, चट्टान, पहाड़ों के अलग-अलग नजारे, चोटी, अलग-अलग किस्म के पहाड़ अब इन्हें एक बड़े से कागज पर पहाड़ के आकार में चिपकाओ| यदि चाहो तो ये कोलाज तुम अपनी कक्षा के एक दीवार पर भी बना सकते हो |
उत्तर-स्वयं करो।
प्रश्न 2. अब इन चित्रों पर आधारित शब्दों का एक कोलाज बनाओ| कोलाज में ऐसे शब्द हों जो इन चित्रों का वर्णन कर पा रहे हों या मन में उठने वाली भावनाओं को बता रहे हों|
अब इन दोनों कोलाजो कक्षा में प्रदर्शित करो|
उत्तर-स्वयं करो।
तुम्हारी समझ से
प्रश्न 1. इस वृतांत को पढ़ते-पढ़ते तुम्हें अपनी कोई छोटी या लंबी यात्रा याद आ रही हो तो उसके बारे में लिखो|
उत्तर- स्वयं करो।
प्रश्न 2. जवाहरलाल का अमरनाथ तक का सफर अधूरा क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर- जवाहरलाल को अमरनाथ तक का सफर अधूरा इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि आगे का मार्ग और अधिक खतरनाक था| साथ ही उनके पास इन रास्तों पर जाने संबंधित सामान भी नहीं था|
प्रश्न 3. जवाहरलाल, किशन और कुली सभी रस्सी से क्यों बँधे थे?
उत्तर- जवाहरलाल, किशन और कुली सभी रस्सी से इसलिए बँधे थे कि अगर वह कहीं पहाड़ पर से गिर जाए, तो रस्सी का सहारे लटक जाएँगे|
प्रश्न 4. (क) पाठ में नेहरू जी ने हिमायल से चुनौती महसूस की| कुछ लोग पर्वतारोहण को क्यों करना चाहते हैं?
उत्तर- कुछ लोग पर्वतारोहण मनोरंजन और शौक के लिए करना चाहते हैं| साथ ही आज पर्वतारोहण कुछ लोगों की जीविका का साधन भी बन चुका हैं|
(ख) ऐसे कौन-कौन से चुनौती भरे काम हैं जो तुम करना पसंद करोगे?
उत्तर-पूरे क्लास में सबसे अव्वल अंक लाने की चुनौती और स्कूल में आयोजित सभी मुख्य प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कुछ कर दिखाने की चुनौती।
बोलते पहाड़
प्रश्न 1. ● उदास फीके बर्फ से ढके चट्टानी पहाड़
हिमालय की दुर्गम पर्वतमाला मुँह उठाए चुनौती दे रही थी|
“उदास होना” और “चुनौती देना” मनुष्य के स्वभाव है| यहाँ निर्जीव पहाड़ ऐसा कर रहे हैं| ऐसे और भी वाक्य है| जैसे- बिजली चली गई|
चांद ने शरमाकर अपना मुँह बादलों के पीछे कर लिया|
इस किताब के दूसरे पाठो में ऐसे वाक्य ढूँढो|
उत्तर- (क) उन्होंने साड़ी की शिकने दुरुस्त की|
(ख) पूरे दस दिन हो गए सूरज लापता है|
(ग) गोलियों की आवाज से पूरी घाटी गूँज गई|
(घ) फसल तैयार खड़ी थी|
(ङ) हम भी बीच-बीच में अपनी पतंगों को सुस्ताने का मौका देते हुए मटर और प्याज छिलने बैठ जाते|
एक वर्णन ऐसा भी
पाठ में तुमने जवाहरलाल नेहरु की पहाड़ी यात्रा के बारे में पढ़ा| नीचे एक और पहाड़ी इलाके का वर्णन किया गया है जो प्रसिद्ध कहानीकार निर्मल वर्मा की किताब ‘चीड़ों पर चाँदनी’ से लिया गया है| इसे पढ़ो और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दो|
“क्या यह शिमला है – हमारा अपना शहर – या हम भूल से कहीं और चले आए हैं? हम नहीं जानते कि पिछले बार जब हम बेखबर सो रहे थे, बर्फ़ चुपचाप गिर रही थी|
खिड़की के सामने पुराना, चिर-परिचित देवदार का वृक्ष था, जिसकी नंगी शाखों पर रूई के मोटे-मोटे गालों से बर्फ चिपक गई थी| लगता था जैसे वह सांता-क्लोस हो, एक रात में ही जिसके बाल सन-से सफेद हो गए हैं…..| कुछ देर बाद धूप निकल आती है – नीले चमचमाते आकाश के नीचे बर्फ से ढकी पहाडियाँ धूप सेंकने के लिए अपना चेहरा बादलों के बाहर निकाल लेती हैं|”
प्रश्न- (क) ऊपर दिए पहाड़ के वर्णन और पाठ में दिए गए वर्णन में क्या अंतर है?
उत्तर- ऊपर दिए गए पहाड़ के बंधन में पेड़ों का भी जिक्र है| लेकिन पाठ में उजाड़ चट्टानों का वर्णन है|
(ख) कई बार निर्जीव चीजों के लिए मनुष्यों से जुड़ी क्रियाओं, विशेषण आदि का इस्तेमाल होता है, जैसे- पाठ में आए दो उदाहरण ‘उदास फ़िके, बर्फ से ढके चट्टानी पहाड़” या “सामने एक गहरी खाई मुँह फाड़े निकलने के लिए तैयार थी|” ऊपर लिखे शिमला के वर्णन में ऐसे उदाहरण ढूँढो|
उत्तर- (क) बर्फ चुपचाप गिर रही थी|
(ख) जिसकी नंगी शाखों के रुई के मोटे-मोटे गालों-सी चिपक गई थी|
(ग) नीले चमचमाते आकाश के नीचे बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियाँ धूप सेकने के लिए अपना चेहरा बादलों से बाहर निकाल लेती है|
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NCERT Class 5 Hindi Chapter wise Solutions
- पाठ-01- राख की रस्सी
- पाठ-02- फ़सलों का त्योहार
- पाठ-03- खिलौनेवाला
- पाठ-04-नन्हा फ़नकार
- पाठ-05- जहाँ चाह वहाँ राह
- पाठ-06- चिट्टी का सफ़र
- पाठ-07- डाकिए की कहानी, कँवरसिंह की जुबानी
- पाठ-08- वे दिन भी क्या दिन थे
- पाठ-09- एक माँ की बेबसी
- पाठ-10- एक दिन की बादशाहत
- पाठ-11- चावल की रोटियाँ
- पाठ-12- गुरु और चेला
- पाठ-13- स्वामी की दादी
- पाठ-14- बाघ आया उस रात
- पाठ-15- बिशन की दिलेरी
- पाठ-16- पानी रे पानी
- पाठ-17- छोटी-सी हमारी नदी
- पाठ-18- चुनौती हिमालय की